Wednesday, June 17, 2009

khejuri

लालगढ़, खेजुरी के चक्रव्यूह में फंसी सीपीएम
17 Jun 2009, 1819 hrs IST,नवभारत टाइम्स प्रिन्ट ईमेल Discuss शेयर सेव कमेन्ट टेक्स्ट:

पश्चिम बंगाल में 32 साल से सत्ता में रहने के बाद सीपीएम राज्य के कुछ इलाकों में अपना वजूद बचाने को जूझ
रही है। इन इलाकों में माओवादियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। वह राज्य के अंदर राज्य के रूप में काम कर रहे हैं। पश्चिमी और पूर्वी मिदनापुर जिलों से लगे इलाकों में पुलिस और प्रशासन का दखल नाममात्र को ही रह गया है।

लालगढ़ में माओवादी

पूर्व में, जहां नंदीग्राम और खेजुरी स्थित हैं, एक तरह से तृणमूल कांग्रेस काबिज है। दूसरी तरफ पश्चिम में माओवादियों ने कई गांवों को अपने नियंत्रण में लेकर उन्हें 'आजाद क्षेत्र' घोषित किया है। लालगढ़ पश्चिमी मिदनापुर का एक गांव है। यह नवंबर, 2008 में चर्चा में आया जब आदिवासी बहुल इस इलाके में पुलिस अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन तेज किया गया। नवंबर में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य सालबनी स्थित स्टील प्लांट की नींव रखकर लौट रहे थे, उनके काफिले पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग से हमला किया। भट्टाचार्य के साथ रामविलास पासवान भी थे। दोनों बाल-बाल बच गए। इसके बाद हुई गिरफ्तारियों के विरोध में उस इलाके में पीपल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज (पीसीएपीए) का गठन हुआ।

चुनाव नतीजों से बुलंद हुए माओवादियों के हौसले

स्थानीय लोगों की मदद से माओवादियों ने मिदनापुर में पुलिस और प्रशासन के लोगों के घुसने पर रोक लगा दी। लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग भी वहां मतदान केंद्र बनाने में विफल रहा और इलाके से बाहर पोलिंग बूथ बनाए गए। आम चुनावों में सीपीएम की करारी हार के बाद माओवादियों के हौसले और बुलंद हुए। हाल के कुछ दिनों में माओवादियों ने सीपीएम नेताओं के घर लूटपाट की और दफ्तरों को जला दिया। माओवादियों और स्थानीय आदिवासियों के गुस्से के सामने पुलिस असहाय नजर आ रही है।

खेजुरी में तृणमूल काबिज

खेजुरी पूर्वी मिदनापुर में नंदीग्राम से लगने वाला इलाका है। एक समय में सीपीएम के गढ़ रहे इस क्षेत्र पर अब ममता बनर्जी का नियंत्रण है। इसे नंदीग्राम आंदोलन ने और हवा दी, लेकिन आम चुनावों के बाद तृणमूल और सीपीएम कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा शुरू हो गई। चुनावी हार के बाद सीपीएम के कई स्थानीय नेता तृणमूल के साथ हो गए हैं। फिलहाल, तृणमूल वर्कर्स ने सीपीएम नेताओं के घर और दफ्तर लूटे और पुलिस का बायकॉट किया। सीपीएम कार्यकर्ता भी इसका जवाब हिंसा से दे रहे हैं। कांग्रेस और तृणमूल के प्रतिनिधियों ने गवर्नर से मिलकर हालात में दखल करने की मांग की है। दूसरी तरफ सीपीएम हिंसा के पीछे तृणमूल का हाथ बता रही है।

सरकार का रुख

पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र से अर्द्धसैनिक बलों की मांग की है। केंद्र ने अर्द्धसैनिक बल भेजे हैं साथ ही प. बंगाल से कहा है कि वह अपने सुरक्षाबलों को भी प्रभावित इलाकों में तैनात करे। उधर इस मामले में राजनीति भी तेज हो गई है। सीपीएम का इल्जाम है कि माओवादियों को तृणमूल और कांग्रेस का समर्थन हासिल है। उधर कांग्रेस ने पूरी घटनाओं के लिए सीपीएम को जिम्मेदार ठहराया है।